Adhyay : 8 Mantra : 105 Back to listings वाग्गैवत्यैश्च चरुभिर्यजेरंस्ते सरस्वतीम् । अनृतस्यैनसस्तस्य कुर्वाणा निष्कृतिं पराम् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related