Adhyay : 8 Mantra : 106 Back to listings कूष्माण्डैर्वापि जुहुयाद्घृतं अग्नौ यथाविधि । उदित्यृचा वा वारुण्या तृचेनाब्दैवतेन वा Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related