Adhyay : 8 Mantra : 104 Back to listings शूद्रविट्क्षत्रविप्राणां यत्र र्तोक्तौ भवेद्वधः । तत्र वक्तव्यं अनृतं तद्धि सत्याद्विशिष्यते Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related