Adhyay : 8 Mantra : 103 Back to listings तद्वदन्धर्मतोऽर्थेषु जानन्नप्यन्य्था नरः । न स्वर्गाच्च्यवते लोकाद्दैवीं वाचं वदन्ति ताम् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related