तद्वदन्धर्मतोऽर्थेषु जानन्नप्यन्य्था नरः । न स्वर्गाच्च्यवते लोकाद्दैवीं वाचं वदन्ति ताम् ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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