यह (८७-९७) अनिन्दित सर्वदा मान्य योद्धाओं का धर्म कहा, क्षत्रिय व्यक्ति युद्ध में शत्रुओं को मारते हुए इस धर्म से विचलित न होवे ।
यह (८७-९७) अनिन्दित सर्वदा मान्य योद्धाओं का धर्म कहा, क्षत्रिय व्यक्ति युद्ध में शत्रुओं को मारते हुए इस धर्म से विचलित न होवे ।