इस व्यवस्था को कभी न तोड़े कि लड़ाई में जिस – जिस अमात्य वा अध्यक्ष ने रथ, घोड़े, हाथी, छत्र, धन, धान्य, गाय आदि पशु और स्त्रियां तथा अन्य प्रकार के सब द्रव्य और घी, तेज आदि के कुप्पे जीते हों वही उस – उस का ग्रहण करे ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
इस व्यवस्था को कभी न तोड़े कि लड़ाई में जिस – जिस अमात्य वा अध्यक्ष ने रथ, घोड़े, हाथी, छत्र, धन, धान्य, गाय आदि पशु और स्त्रियां तथा अन्य प्रकार के सब द्रव्य और घी, तेज आदि के कुप्पे जीते हों वही उस – उस का ग्रहण करे ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)