Adhyay : 7 Mantra : 86 Back to listings पात्रस्य हि विशेषेण श्रद्दधानतयैव च । अल्पं वा बहु वा प्रेत्य दानस्य फलं अश्नुते Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related