एवंवृत्तस्य नृपतेः शिलोञ्छेनापि जीवतः । विस्तीर्यते यशो लोके तैलबिन्दुरिवाम्भसि

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *