स्वराष्ट्रे न्यायवृत्तः स्याद्भृशदण्डश्च शत्रुषु । सुहृत्स्वजिह्मः स्निग्धेषु ब्राह्मणेषु क्षमान्वितः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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