सर्वेषां तु विदित्वैषां समासेन चिकीर्षितम् । स्थापयेत्तत्र तद्वंश्यं कुर्याच्च समयक्रियाम् ।

. विजित प्रदेश की इन सब प्रजाओं की इच्छा को संक्षेप से अर्थात् सरसरी तौर पर जानकर कि वे किसे अपना राजा बनाना चाहती हैं या कोई और विशेष आकांक्षा हो उसे भी जानकर उस राजसिंहासन पर उस प्रदेश की प्रजाओं में से उन्हीं के वंश के किसी व्यक्ति को बिठा देवे और उससे शर्तनामा लिखा लेवे (कि अमुक कार्य तुम्हें स्वेच्छानुसार करना है, अमुक मेरी इच्छा से । इसी प्रकार अन्य कर, अनुशासन आदि से सम्बद्ध बातें भी उसमें हों) ।

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