विजय प्राप्त करके जो धर्माचरणवाले विद्वान् ब्राह्मण हों उनको ही सत्कृत करे अर्थात् उनको अभिवादन करके उनका आशीर्वाद ले और जिन प्रजाजनों को युद्ध में हानि हुई है उन्हें क्षतिपूर्ति के लिए सहायता दे तथा सब प्रकार के अभयों की घोषणा करा दे कि ‘प्रजाओं को किसी प्रकार का कोई कष्ट नहीं दिया जायेगा अतः वे सब प्रकार से भय – आशंका – रहित होकर रहे’ ।