जैसे राजा और कर्मों का कत्र्ता राजपुरूष व प्रजाजन सुखरूप फल से युक्त होवे वैसे विचार करके राजा तथा राज्यसभा राज्य में कर – स्थापन करे ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
जैसे राजा और कर्मों का कत्र्ता राजपुरूष व प्रजाजन सुखरूप फल से युक्त होवे वैसे विचार करके राजा तथा राज्यसभा राज्य में कर – स्थापन करे ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)