यथाल्पाल्पं अदन्त्याद्यं वार्योकोवत्सषट्पदाः । तथाल्पाल्पो ग्रहीतव्यो राष्ट्राद्राज्ञाब्दिकः करः

. जैसे जोंक, बछड़ा और भंवरा थोड़े – थोड़े भोग्य पदार्थ को ग्रहण करते हैं वैसे राजा प्रजा से थोड़ा – थोड़ा वार्षिक कर लेवे ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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