Adhyay : 7 Mantra : 127 Back to listings क्रयविक्रयं अध्वानं भक्तं च सपरिव्ययम् । योगक्षेमं च संप्रेक्ष्य वणिजो दापयेत्करान् । Leave a comment खरीद और बिक्री भोजन तथा भरण – पोषण का व्यय और लाभ इन सब बातों पर विचार करके राजा को व्यापारी से कर लेने चाहिए । Related