. जो राजा मोह से, अविचार से अपने राज्य को दुर्बल करता है वह राज्य से और बन्धुसहित जीने से पूर्व ही शीघ्र नष्ट – भ्रष्ट हो जाता है ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
. जो राजा मोह से, अविचार से अपने राज्य को दुर्बल करता है वह राज्य से और बन्धुसहित जीने से पूर्व ही शीघ्र नष्ट – भ्रष्ट हो जाता है ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)