यद्भक्ष्यं स्याद्ततो दद्याद्बलिं भिक्षां च शक्तितः । अम्मूलफलभिक्षाभिरर्चयेदाश्रमागतान् ।

जो भी खाने का पदार्थ हो उससे ही बलिवैश्वदेव यज्ञ करे और यथाशक्ति भिक्षा भी दे आश्रम में आये अतिथियों को जल, कन्दमूल, फल आदि प्रदान करके उनका सत्कार करे

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