यो दत्त्वा सर्वभूतेभ्यः प्रव्रजत्यभयं गृहात् । तस्य तेजोमया लोका भवन्ति ब्रह्मवादिनः

जो पुरूष सब प्राणियों को अभयदान सत्योपदेश देकर गृहाश्रम से ही सन्यास ग्रहण कर लेता है उस ब्रह्मवादी वेदोक्त सत्योपदेशक संन्यासी को मोक्षलोक और सब लोक – लोकान्तर तेजोमय (ज्ञान के प्रकाशमय) हो जाते हैं ।

(स० वि० संन्यासाश्रम सं०)

‘‘जो सब भूत प्राणिमात्र को अभयदान देकर, घर से निकलके संन्यासी होता है उस ब्रह्मवादी अर्थात् परमेश्वर – प्रकाशित वेदोक्त धर्म आदि विद्याओं के उपदेश करने वाले संन्यासी के लिए प्रकाशमय अर्थात् मुक्ति का आनन्दस्वरूप लोक प्राप्त होता है ।’’

(स० प्र० पंच्चम समु०)

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