जब वानप्रस्थ – आश्रम की दीक्षा लेवें तब गांव में उत्पन्न हुए पदार्थों का आहार और घर के सब पदार्थों को छोड़के पुत्रों में अपनी पत्नी को छोड़ अथवा संग में लेके वन को जावे ।
(सं० वि० वानप्रस्थाश्रम सं०)
‘‘सब ग्राम के आहार और वस्त्र आदि सब उत्तमोत्तम पदार्थों को छोड़ पुत्रों के पास स्त्री को रख वा अपने साथ लेके वन में निवास करे ।’’
(स० प्र० पंच्चम समु०)