Adhyay : 5 Mantra : 166 Back to listings अनेन नारी वृत्तेन मनोवाग्देहसंयता । इहाग्र्यां कीर्तिं आप्नोति पतिलोकं परत्र च Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related