अनेन नारी वृत्तेन मनोवाग्देहसंयता । इहाग्र्यां कीर्तिं आप्नोति पतिलोकं परत्र च

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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