Adhyay : 5 Mantra : 135 Back to listings वसा शुक्रं असृङ्मज्जा मूत्रविट्घ्राणकर्णविट् । श्लेश्म अश्रु दूषिका स्वेदो द्वादशैते नृणां मलाः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related