Adhyay : 5 Mantra : 134 Back to listings विण्मूत्रोत्सर्गशुद्ध्यर्थं मृद्वार्यादेयं अर्थवत् । दैहिकानां मलानां च शुद्धिषु द्वादशस्वपि । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related