मक्षिका विप्रुषश्छाया गौरश्वः सूर्यरश्मयः । रजो भूर्वायुरग्निश्च स्पर्शे मेध्यानि निर्दिशेत् ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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