Adhyay : 5 Mantra : 128 Back to listings आपः शुद्धा भूमिगता वैतृष्ण्यं यासु गोर्भवेत् । अव्याप्ताश्चेदमेध्येन गन्धवर्णरसान्विताः । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related