Adhyay : 5 Mantra : 127 Back to listings त्रीणि देवाः पवित्राणि ब्राह्मणानां अकल्पयन् । अदृष्टं अद्भिर्निर्णिक्तं यच्च वाचा प्रशस्यते । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related