Adhyay : 4 Mantra : 230 Back to listings भूमिदो भूमिं आप्नोति दीर्घं आयुर्हिरण्यदः । गृहदोऽग्र्याणि वेश्मानि रूप्यदो रूपं उत्तमम् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related