Adhyay : 4 Mantra : 18 Back to listings वयसः कर्मणोऽर्थस्य श्रुतस्याभिजनस्य च । वेषवाग्बुद्धिसारूप्यं आचरन्विचरेदिह Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related