सर्वान्परित्यजेदर्थान्स्वाध्यायस्य विरोधिनः । यथा तथाध्यापयंस्तु सा ह्यस्य कृतकृत्यता ।

गृहस्थों के लिये सतोमुणवर्धक व्रत –

. जो स्वाध्याय और धर्मविरोधी व्यवहार वा पदार्थ हैं उन सब को छोड़ देवे जिस किसी प्रकार से विद्या को पढ़ाते रहना ही गृहस्थ को कृतकृत्य होना है ।

(सं० वि० गृहाश्रम वि०)

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