गृहस्थों के लिये सतोमुणवर्धक व्रत –
इन्द्रियों के विषयों में काम से कभी न फंसे और विषयों की अत्यन्त प्रसक्ति अर्थात् प्रसंग को मन से अच्छे प्रकार दूर करता रहे ।
(सं० वि० गृहाश्रम वि०)
गृहस्थों के लिये सतोमुणवर्धक व्रत –
इन्द्रियों के विषयों में काम से कभी न फंसे और विषयों की अत्यन्त प्रसक्ति अर्थात् प्रसंग को मन से अच्छे प्रकार दूर करता रहे ।
(सं० वि० गृहाश्रम वि०)