. द्विज सदा जितना भी अधिक समय लगा सके उसके अनुसार आलस्यरहित होकर वेद का ही अभ्यास करे क्यों कि उस वेदाभ्यास को इस द्विज का सर्वोत्तम कत्र्तव्य कहा है अन्य सब कत्र्तव्य गौण हैं ।
. द्विज सदा जितना भी अधिक समय लगा सके उसके अनुसार आलस्यरहित होकर वेद का ही अभ्यास करे क्यों कि उस वेदाभ्यास को इस द्विज का सर्वोत्तम कत्र्तव्य कहा है अन्य सब कत्र्तव्य गौण हैं ।