मङ्गलाचारयुक्तानां नित्यं च प्रयतात्मनाम् । जपतां जुह्वतां चैव विनिपातो न विद्यते । ।

जो सदाकल्याणकारी कार्यों में लगे रहते हैं अथवा जो श्रेष्ठ आचरण का पालन करते हैं और जो सदा उन्नति के लिए प्रयत्नशील रहते हैं तथा जो परमात्मा का जाप करते हैं जो हवन करते हैं, उनकी अवनति नहीं होती ।

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