मङ्गलाचारयुक्तः स्यात्प्रयतात्मा जितेन्द्रियः । जपेच्च जुहुयाच्चैव नित्यं अग्निं अतन्द्रितः

कल्याणकारी कार्यों में लगा रहने वाला या श्रेष्ठ आचरण वाला उन्नति के लिए सदा प्रयत्नशील जितेन्द्रिय रहे और प्रतिदिन आलस्यरहित होकर जपोपासना करे तथा हवन करे ।

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