ऋषयः पितरो देवा भूतान्यतिथयस्तथा । आशासते कुटुम्बिभ्यस्तेभ्यः कार्यं विजानता

ऋषि – मुनि लोग, माता पिता, अग्नि आदि देवता, भृत्य तथा कुष्ठी आदि और अतिथिलोग गृहस्थों से ही आशा रखते हैं अर्थात् सहायता की अपेक्षा रखते हैं अपने गृहस्थ सम्बन्धी कत्र्तव्यों को समझने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह इनके लिए सहायता कार्य करे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *