Adhyay : 3 Mantra : 183 Back to listings अपाङ्क्त्योपहता पङ्क्तिः पाव्यते यैर्द्विजोत्तमैः । तान्निबोधत कार्त्स्न्येन द्विजाग्र्यान्पङ्क्तिपावनान् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related