अग्र्याः सर्वेषु वेदेषु सर्वप्रवचनेषु च । श्रोत्रियान्वयजाश्चैव विज्ञेयाः पङ्क्तिपावनाः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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