Adhyay : 3 Mantra : 180 Back to listings सोमविक्रयिणे विष्ठा भिषजे पूयशोणितम् । नष्टं देवलके दत्तं अप्रतिष्ठं तु वार्धुषौ Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related