Adhyay : 3 Mantra : 177 Back to listings वीक्ष्यान्धो नवतेः काणः षष्टेः श्वित्री शतस्य तु । पापरोगी सहस्रस्य दातुर्नाशयते फलम् । । ३.१ Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related