Adhyay : 3 Mantra : 178 Back to listings यावतः संस्पृशेदङ्गैर्ब्राह्मणाञ् शूद्रयाजकः । तावतां न भवेद्दातुः फलं दानस्य पौर्तिकम् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related