Adhyay : 3 Mantra : 119 Back to listings राजर्त्विक्स्नातकगुरून्प्रियश्वशुरमातुलान् । अर्हयेन्मधुपर्केण परिसंवत्सरात्पुनः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related