राजा च श्रोत्रियश्चैव यज्ञकर्मण्युपस्थितौ । मधुपर्केण संपूज्यौ न त्वयज्ञ इति स्थितिः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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