नैकग्रामीणं अतिथिं विप्रं साङ्गतिकं तथा । उपस्थितं गृहे विद्याद्भार्या यत्राग्नयोऽपि वा । ।

जिसके घर में पत्नी हो और पंचयज्ञों की अग्नि जहां प्रज्वलित रहती हो अथवा जहां पाकाग्नि प्रज्जवलित होती हो ऐसे एक गांव के रहने वाले तथा मित्र विद्वान् यदि घर में आया हुआ हो तो उसे अतिथि के रूप में न समझे ।

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