प्रश्नादि के बिना उपदेश निषेध –
न, अपृष्टः कभी बिना पूछे च वा अन्यायेन पृच्छतः अन्याय से पूछने वाले को कि जो कपट से पूछता हो कस्यचिद् न ब्रूयात् ऐसे किसी को उत्तर न देवे मेधावी उनके सामने बुद्धिमान् जडवत् आचरेत् जड़ के समान रहे, हाँ जो निष्कपट और जिज्ञासु हों उनको बिना पूछे भी उपदेश करे ।
(स० प्र० दशम समु०)
जानन् अपि हि जानते हुए भी ……………………….. ।
लोके लोक में …………………………………………………….।