पढ़ाने योग्य शिष्य –
आचार्यपुत्रः अपने आचार्य गुरू का पुत्र शुश्रूषुः सेवा करने वाला ज्ञानदः किसी विषय के ज्ञान का देने वाला धार्मिकः धर्मनिष्ठव्यक्ति शुचिः छल – कपट रहित आप्तः घनिष्ठ व्यक्ति शक्तः विद्याग्रहण करने में समर्थ अर्थात् बुद्धिमान् पात्र अर्थदः धन देने वाला साधुः हितैषी स्वः अपने परिवार या सम्बन्ध का दश धर्मतः अध्याप्याः ये दश धर्म से अवश्य पढ़ाने योग्य हैं ।