Adhyay : 4 Mantra : 245 Back to listings उत्तमानुत्तमानेव गच्छन्हीनांस्तु वर्जयन् । ब्राह्मणः श्रेष्ठतां एति प्रत्यवायेन शूद्रताम् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related