दृढकारी मृदुर्दान्तः क्रूराचारैरसंवसन् । अहिंस्रो दमदानाभ्यां जयेत्स्वर्गं तथाव्रतः ।

सदा दृढ़कारी कोमल स्वभाव जितेन्द्रियः हिंसक, क्रूर, दुष्टाचारी पुरूषों से पृथक् रहने हारा धर्मात्मा मन को जीत और विद्यादि दान से सुख को प्राप्त होवे ।

(स० प्र० चतुर्थ समु०)

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