Adhyay : 2 Mantra : 182 Back to listings श्रेयःसु गुरुवद्वृत्तिं नित्यं एव समाचरेत् । गुरुपुत्रेषु चार्येषु गुरोश्चैव स्वबन्धुषु । । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related