पराड्मुखस्य अभिमुखः गुरू यदि मुंह फेरे हों तो उनके सामने होकर च और दूरस्थस्य अन्तिकम् एत्य दूर खड़े हों तो पास जाकर शयानस्य तु लेटे हों च और निदेशे एव तिष्ठतः समीप ही खड़े हों तो प्रणम्य हाथ जोड़कर बातचीत करे ।
पराड्मुखस्य अभिमुखः गुरू यदि मुंह फेरे हों तो उनके सामने होकर च और दूरस्थस्य अन्तिकम् एत्य दूर खड़े हों तो पास जाकर शयानस्य तु लेटे हों च और निदेशे एव तिष्ठतः समीप ही खड़े हों तो प्रणम्य हाथ जोड़कर बातचीत करे ।