गुरू के समीप रहते ब्रह्मचारी की मर्यादाएँ –
गुरूणा चोदितः गुरू के द्वारा प्रेरणा करने पर वा अथवा अप्रचोदितः एव बिना प्रेरणा किये भी ब्रह्मचारी नित्यम् प्रतिदिन अध्ययने पढ़ने में च और आचार्यस्य हितेषु गुरू की हित की बातों में यत्नं कुर्यात् यत्न करे ।