Adhyay : 2 Mantra : 165 Back to listings ब्राह्मणस्यैव कर्मैतदुपदिष्टं मनीषिभिः । राजन्यवैश्ययोस्त्वेवं नैतत्कर्म विधीयते Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related