Adhyay : 2 Mantra : 164 Back to listings व्रतवद्देवदैवत्ये पित्र्ये कर्मण्यथ र्षिवत् । कामं अभ्यर्थितोऽश्नीयाद्व्रतं अस्य न लुप्यते । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related