अकृत्वा भैक्षचरणं असमिध्य च पावकम् । अनातुरः सप्तरात्रं अवकीर्णिव्रतं चरेत् ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *