Adhyay : 2 Mantra : 162 Back to listings अकृत्वा भैक्षचरणं असमिध्य च पावकम् । अनातुरः सप्तरात्रं अवकीर्णिव्रतं चरेत् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related